Saturday, October 8, 2016

" अहंकार " इन्सान का सबसे बड़ा शत्रु है । मूल रूप में ये संस्कृत शब्द अहंकार का अर्थ है : अहं + आकार , अहं यानि स्वयं / आत्मा जब आकार लेती , उसे अहंकार कहते हैं । अहं या आत्मा चेतन है और आकार जड़ है । इन्सान अहं या स्वयं के महत्व को भूलकर आकार को ही अपना मानता है । आकार यानि देह और उससे जुडी हर चीज को मैं / मेरा मान लेता है उसे अहंकार कहते हैं । इस प्रकार वह स्वयं ही अपने नष्ट होने का कारण बनता है । अत: अहं यानि चेतना और आकार यानि जड़ को जो पृथक पृथक देखता है, वही यथार्थ देखता है ।

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There are times when we want nothing better than to be left alone.Be sensitive to those times and give the gift of Solitude to yourself..

REIKI TEACHING CHANDIGARH

Letting go of the tendency to hold ourselves up to other people’s standards & letting go of the belief that we need to compete & win, doesn’t mean we don’t believe in doing the best job we can. We always strive to do our best, because when we do we create a life free of regret, knowing we have performed to the best of our ability. This allows us to feel great personal satisfaction in all of our efforts, regardless of how others perceive the outcome.