Sunday, June 28, 2015

REIKI CLASSES IN CHANDIGARH.......ALL COUSRSES UNDER ONE ROOF...09872880634

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Tuning in to the language of our bodies can be very enlightening & increases our intuition.

So much can be revealed to us when we listen to the language of our bodies. Our bodies are always speaking, sending us messages through the way we move, the sensations that arise from within, and the gestures & expressions that we make when we are communicating with others. Tuning in to the language of our bodies can be very enlightening, especially as most communication is believed to take place nonverbally. It is also believed that the body never lies & that if we want to know the truth about ourselves & others, then we should listen to what our bodies have to say. Anyone who has ever flirted with someone they are attracted to has probably, at one point in time or another, brushed their hands through their hair or found themselves leaning forward to get closer to that person. Someone feeling defensive will tend to cross their arms over their chest, while a person who wants to withhold something may look away when speaking.
If you want to know how you truly feel about a person or a situation, then it is a good idea to tune in to what you are feeling inside. Excitement, nervousness, anxiety & fear are just some of the messages that your body wants you to hear. Your body can also be a very reliable compass. Anyone who has ever been somewhere they don’t want to be has probably experienced their bodies trying to move them away from that particular circumstance. And while it can be very easy to talk ourselves into & out of choices we may make with our minds, it isn’t so easy to change the truth of our hearts that reside within our bodies.
To begin tuning in to this subtle form of communication, start taking the time to notice what your body is telling you. Greet each feeling or sensation as a message carrying wisdom from your body. Tune in to what your body is telling you about the situations & people you encounter and listen to what others are communicating to you through their bodies. We already are subconsciously receptive to the language of our bodies, but when we choose to consciously pay attention, we hear & understand so much more about ourselves and the people around us.

Saturday, June 27, 2015

Friday, June 26, 2015

REIKI HEALING FOR ASTHMA.IN TRYCITY...09872880634

Self help tips for Asthma....
.Asthma is an inflammatory disease of the lungs . 
DIET....
Inflammatory diseases such as asthma may be linked with an imbalance of dietary fats, interaction between genes, immune system, 21 century diet and life style. 
Tip
Consume more omega 3s, found in:
Oily fish (two to four portions per week)
Omega 3 fish oil supplements.
Cut out excess omega 6s by consuming less:
Omega 6 vegetable oils such as safflower oil, grape-seed oil, sunflower oil, corn oil, cottonseed oil or soybean oil. Replace with healthier oils such as olive, walnut, almond, avocado, hempseed or macadamia oils.
.AN APPLE A DAY…
People with a high intake of fruit and vegetables have better lung function and are less likely todevelop asthma than those who eat little.
Apples, for example, are a rich source of powerful antioxidants, including quercetin, which reduces histamine release and promotes bronchial relaxation. Those who drink apple juice from concentrate at leastonce a day, or who eat five or more apples per week are up to half as likely to experience asthma as non-apple eaters.
Tips...
1 Eat plenty of raw fruit and vegetables for their vitamin, mineral, antioxidant and fibre content. Antioxidants can help to strengthen lung tissue, reduce inflammation and improve asthma symptoms. Eat fruit and vegetables raw or steamed where appropriate.1. Avoid exposure to allergens such as pollen and dust.
2. Avoid eating foods to which you are allergic. Some of the common foods to which most of them show allergic reactions include fish and yeast.
3. Restrict or even avoid the foods will increase the problem of mucus secretion.
4. Avoid fried foods and foods that are hard to digest.
5. Drink plenty of water. This will not only ease the digestion but also helps to reduce the formation of highly thick mucus.
6. Deep breathing and Anulom- Vilom prayanam daily .
7.By Learning which triggers can cause your asthma symptoms to flare up and avoid them.
8.Using controller medicines correctly, as prescribed by your physician
9.Having a written asthma action plan, which can help you to take charge and keep track of your asthma symptoms.
10.Do Chakra healing daily , if you know energy healing, it helps to boost immunity, heal lungs .

Friday, June 19, 2015

प्रेम , भाषा की दृष्टि से देखें तो परम् शब्द से बना है प्रेम । परम् का अर्थ है जिसमें कोई दूषितता न हो अर्थात् शुद्धतम् ,और सर्वोच्च , जिसकी कोई सीमा नहीं,या जो असीम है ।जिस चक्र का यहाँ वर्णन किया है उसका संस्कृत नाम है "अनहद" अर्थात् जिसकी कोई हद न हो या कोई सीमा न हो ,जो असीम हो ,यहाँ भगवन का निवास भी है।इसीलिए श्रीमद् भगवद्गीता के अध्याय -10 के श्लोक - 20 के द्वारा भगवन ने समझाया है कि :- अहमात्मा गुडाकेश सर्भूताशयस्थित: ।अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च ।। अर्थात् हे अर्जुन ! मैं सभी प्राणीयों के हृदय में स्थित सबका आत्मा हूँ तथा सबका आदि, मध्य, और अंत भी मैं ही हूँ ।.......by Dr.Surendra Nath Panch Ji, on Anhad Chakra

ध्वनि और सात चक्र ================ ऊर्जा का ध्वनि रूप कभी नष्ट नहीं होता । आज भी विज्ञान कृष्ण की गीता को आकाश से मूल रूप में प्राप्त करना चाहता है । ध्वनि की तरंगे जल तरंगों की तरह वर्तुल (गोलाकार) रूप में आगे बढ़ती हैं । सूर्य की किरणें सीधी रेखा में चलती हैं, इनका मार्ग कोई भी अपारदर्शी माध्यम अवरुद्ध कर सकता है । जल तरंगें जल तक ही सिमित रहती हैं । लेकिन ध्वनि तरंगों को कोई माध्यम रोक नहीं पाता है । गर्भस्त शिशु भी ध्वनि स्पंदनों ग्रहण कर अभिमन्यु बन जाता है । प्रकृति ने शरीर को सात धातुओं में, सात चक्रों में , सप्तांग गुहाओं में श्रेणीबद्ध किया है ।ध्वनि को भी सात सुरों से अलंकृत किया है । सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड जो की ध्वनि अर्थात नाद पर ही आधारित है, सात ही लोकों में बटा हुआ है ।यथा: भु - भुव: - स्व: - मह: - जन: - तप: - सत्यम् ।शरीर के सात चक्रों की तुलना भी इन सात लोकों से की गयी है । जैसे सृष्टि और प्रकृति में संतुलन जरुरी है, उसी प्रकार शरीर तथा चक्रों में संतुलन आवश्यक है ।प्रत्येक चक्र पर वर्णमाला के वर्ण भी अभिव्यक्त होते हैं। इन वर्णों का , सात सुरों के स्पंदनों का चक्रों से विशिष्ठ सम्बन्ध होता है । दूसरी ओर प्रत्येक चक्र से शरीर के कुछ अवयव जुड़े हुए हैं । चक्र शरीर के विशेष शक्ति केंद्र हैं , अत: इनसे ही , आश्रित अवयवों की क्रियाओं का नियंत्रण होता है । अवयवों के रोगग्रस्त होने की दशा में चक्रों का संतुलन भी बिगड़ जाता है । चक्रों का सीधा सम्बन्ध हमारे आभामंडल से होता है । इसी आभामंडल से हमारा मन निर्मित होता है । आभामंडल अपने चारों ओर के वायुमंडल से ऊर्जाएं ग्रहण करता है । यहाँ से सारी ऊर्जाएं चक्रों से गुजरती हुई विभिन्न अंगों , स्नायु कोशिकाओं में वितरित होती है । मूलाधार और सहस्त्रार को छोड़कर सभी चक्र युगल रूप में होते हैं । एक भाग आगे की ओर तथा दूसरा भाग पीठ की ओर । साधारण अवस्था में सभी चक्र घड़ी की दिशा में घूमते हैं । हर चक्र की अपनी गति होती है । इसमें होने वाले स्पंदनों की आवृति ( frequency ) के अनुरूप ही चक्र का रंग होता है । चक्र का आगे वाला भाग गुण - धर्म से जुड़ा है । पृष्ठ भाग गुणों की मात्रा , स्तर और प्रचुरता से जुड़ा होता है । युगल का संगम रीढ़ केंद्र होता है । जहाँ इडा - पिंगला भी मिलती हैं । यही केंद्र अंत:स्रावी ग्रंथि (endocrine gland) से जुड़ा होता है । अनंत आकाश से तथा सूर्य से आने वाली ऊर्जाएं हमारे आभामंडल और चक्रों के समूह के माध्यम से हमारे स्थूल शरीर में प्रवेश करती है । अंत:स्रावी ग्रंथियों के नाम एवम् स्थान:- ======================== चक्र ग्रंथि स्थान --------- ----------- -------------- 7 सहस्त्रार पीनियल कपाल 6 आज्ञा पिच्युटरी (पीयुशिका) भ्रूमध्य 5 विशुद्धि थायराईड (गलग्रंथी) कंठ 4 अनाहत थायमस (बाल्य ग्रंथि) ह्रदय 3 मणिपूर पेनक्रियज (अग्नाशय) नाभि 2 स्वाधिष्ठान एड्रिनल ( जनन ग्रंथि) पेडू 1 मूलाधार गोनाड (अधिब्रक्क) रीढ़ का अंतिम छोर कार्य क्षेत्र ======= सहस्रार - ऊपरी मस्तिष्क, दाहिनी आँख, स्नायु तंत्र, शरीर का ढांचा, आत्मिक धरातल, सूक्ष्म ऊर्जा सइ सम्बन्ध, पूर्व जन्म स्मृति आदि । भ्रूमध्य - ग्रंथियों की कार्य प्रणाली, प्रतिरोध क्षमता, चेहरा तथा इन्द्रियों के कार्य, अंत:चक्षु , चुम्बकीय क्षेत्र, प्रज्ञा आदि । विशुद्धि - स्वर यंत्र , श्वसन तंत्र , अंत:श्रवण, टेलीपेथी, अंतर्मन आदि । अनाहत - रोग निरोधक क्षमता, ह्रदय, रक्त प्रवाह , दया - करुणा का केंद्र, अन्य प्राणीयों के प्रति सम्मान भाव आदि । मणिपुर - पाचन तंत्र, यकृत, तिल्ली , नाड़ी तंत्र , आंतें , बायाँ मस्तिस्क, बौद्धिक विकास आदि । स्वाधिष्ठान - प्रजनन तंत्र, गुर्दे , मूत्र , मल, विष विसर्ज्ञन, भावनात्मक धरातल, सूक्ष्म स्तर आदि । मूलाधार - विसर्जन तंत्र , रीढ़ , पैर ,प्रजनन अंग, जीवन ऊर्जा का मूल केंद्र, भय मुक्ति, शक्ति केंद्र । सातों केन्द्रों के रंग भी इन्द्रधनुष के रंगों के क्रम में होते हैं । हर रंग ध्वनि तरंगों की आवृति से बनता है । यह वैज्ञानिक तथ्य है । अत: हम ध्वनि तरंगों की आवृति नियंत्रित करके चक्र विशेष को प्रभावित कर सकते हैं । ध्वनि की अवधारणा में शब्द और भाव संगीत पर सवार होते हैं । अलग-अलग श्रेणी के शब्द जब संगीत की लय , ताल , और स्वर से मिलते हैं, तब विभिन्न चक्रों पर उनका प्रभाव भिन्न - भिन्न होता है । अस्वस्थ व्यक्ति के चक्रों का स्वरुप असंतुलित होता है । गति, आवृति, रंग, आभामंडल आदि संतुलित नहीं होते । तब संगीत की लय, भावनाओं के साथ जुड़कर संतुलन को ठीक करने का क्रम शुरू किया जाता है । कई बार रोग की स्थिति में असंतुलित चक्र सूक्ष्म शरीर से ऊर्जा खींचकर स्वस्थ होने का प्रयास करता है । रंगों की तरह संगीत के सात सुर भी सातों केन्द्रों से जुड़े होते हैं । प्रत्येक स्वर की आवृति , ताल, भी हर चक्र की अलग-अलग होती है । शब्द, भाव और ध्वनि अविनाभाव( आपस में संयुक्त ) होते हैं ।एक को बदलने पर शेष दोनों भी बदल जाते हैं । ध्वनि की एक विशेषता यह है कि ये चारों ओर फैलती जाती है । प्रत्येक व्यक्ति के शरीर से गुजरती जाती है । इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति की ध्वनि भी हमारे शरीर से गुजरती रहती है । अत: हर व्यक्ति एक दूसरे को परिष्कृत करता जाता है । शब्द और ध्वनि मिलकर भावनाओं को ऊर्ध्वगामी बनाते हैं । इसी के साथ संगीत के सुरों का क्रम गहन से गहनतम होता जाता है । व्यक्ति खो जाता है । संगीत के स्पंदन और उसका गुंजन मणिपुर चक्र के माध्यम से शरीर में फैलता है । गर्भस्थ शिशु के साथ माँ का संवाद नाभि के जरिये ही बना रहता है । सातों सुरों का प्रभाव सीधा भी भिन्न-भिन्न केन्द्रों पर पड़ता है । नीचे मूलाधार पर "सा " , स्वाधिष्ठान पर " रे " , मणिपूर पर " ग " , अनाहत पर " म " , विशुद्धि पर " प " , तथा आज्ञा चक्र पर " ध " , के साथ सहस्त्रार पर " नि " का प्रभाव अलग-अलग सुर-लय के साथ पड़ता रहता है । मूलाधार शरीर की ऊर्जाओं का केंद्र है । ताल के साथ तरंगित होता है । तबला, ढोल, मृदंग जैसे संगीत पर थिरकता है । स्वाधिष्ठान भावनात्मक धरातल मूलाधार तथा मणिपुर के साथ स्पंदित होता है । लय हमेशां भावनात्मक भूमिका में कार्य करती है । अत: ऊपर अनाहत को भी प्रभावित करती है । विशुद्धि और अनाहत भीतरी सूक्ष्म शक्तियों का मार्ग खोलते हैं । आज्ञा-सहस्त्रार आत्मिक धरातल का संतुलन, शरीर-मन-बुद्धि का संतुलन , दृश्य-द्रष्टा भावों के प्रतिमान हैं । इनमें सुर-ताल-लय के साथ भावों का जुड़ना जरुरी है । विश्व भर में आज संगीत चिकित्सा की बहुत चर्चा है । संगीत चिकित्सा के अनुसार ताल शारीरिक और सुर भावनात्मक क्षेत्र को तथा लय बद्धता अंत:क्षेत्र को प्रभावित करते हैं । ध्वनि प्रत्येक चक्र की ऊर्जाओं को संतुलित करते हुए व्यक्ति को मन-वचन-शरीर से निरोग व आस्थावान बनाये रखती है।

Monday, June 15, 2015

REIKI CHANDIGARH

Reiki Healing:
Reiki is an Energy HEALING. Dr. Usui, from Japan introduced reiki healing.
REI: UNIVERSAL
KI: LIFE FORCE ENERGY
How  Reiki Works ?
Reiki flow through a subtle system in human being, known as Meridians  (Nadi)
And  Chakras (Energy  centre).Reiki  flows and increases human biomagemtic (Aura).
Who can learn Reiki?
Reiki  learning is not dependent  on intellectual  capacity , education, age. Every onecan learn Reiki.
Why to learn Reiki?
To be with  life  force  energy.
To be  guided  by  universal life force energy.
To be protected by positive energy.
Uses:
*For  self  healing.
*To heal your family.
*to heal elderly for health , in your family.
*To heal your near / dear  living away.
*To heal stranger in accident.
*Send reiki to future.
*To your bank account.
*To  fulfill  your wishes.
*For goal achievement.
*Finding lost wallet.
*To computer, vehicle, home, office, pets ,plants, food, water.
*T o charge medicine , jewllery  with good energy.
*To your job interview, exams.
*To bring harmony in home and work place.
*To clean , heal protect  your body and mind.
*For  financial  successes.
*To  creat  good / bright future.
*To get   abundance from universe.
*To live happy and  healthy  forever.





Pranic Healing:

1. Pranic Healing For:

 Endocrime Disorder
Infertility
PCOD/PCOS
Diabetics
Hypothyroid Disorder
Migraine/ Headache
Liver Diseases
2. Pranic Healing For:

Pranic Healing Facial
Pranic Energy weight reduction
To remove attachments
For relationship issues.
Pranic psychotherapy for anxiety, dispression, ansomia.
Pranic healing for bring positivity in person.
To remove unauthorized Cord.
Crystal Healing/ Quartz Healing :

Reiki Charged quartz to keep in home and office for positive energy & protection.
Reiki changed things to wear for positive energy & protection
EFT/ERT (Emotional Release therapy)
To Remove Emotional clutter from mind

Saturday, June 13, 2015

DR.vANDANA RAGHUVANSHI..REIKI GRAND MASTER , CHANDIGARH

Dr. Vandana Raghuvanshi
Director Energy Healing Guidance
Surgeon, Past Life Regression & Hypnotherapist,
Neuro-Linguistic Program(NLP) Therapist
Reiki Grand Master & Pranic Healer.
Power of Subconscious Mind Trainer
Magnified healer and Teacher
Crystal Healer
Dowsing Teacher and Dowser
Teacher for Crystal ball gazing
Trainer for Forgiveness
World class trainer for how to attract abundance
EFT/ ERT[Emotional release therapy ] Trainer
Medical Vedic astrologer
Writer
Chandigarh
India.
mobile..09872880634
mail..lightdivine28@yahoo.com
PRACTICE:

· >Past life regression & hypnotherapy:   Successfully doing past life regression, children’s past life        sessions,
 > past life therapy for phobia, depression, anxiety, panic attacks, sadness unexplained
  physical health problems, relationship issues, spiritual advancement, guidance from    master.
> LBL (Life between Lives) session, age regression, anti natal (in womb) regression, Inner child healing, >Re-Birthing cleansing of  present physical body Aura and Chakra before regression,
 >SRT (Spirit Releasement Therapy)
. >As a spiritual healer she does healing work in Past Life Session for forgiveness and disconnection of disharmony cords, removal of negative energy from past life and SRT in past life therapy session

> NLP therapy for nail biting, bed wetting, goal setting, eating disorders and to increase confidence and NLP for sports person. 
> Hypnotherapy for phobia, alcohol, addictions, anxiety, stammering, stage fright, insomnia
·        TRAINING COURSES AND WORKSHOP *
*Teaching Reiki Level 1,2 Level
,3rd degree (Karuna Reiki),
 Mastership,
Grand mastership
magnified healing
, Dowsing,
 EFT (Emotional Release Therapy),
 Crystal ball gazing
, Activation of third eye,
 Crystal healing,
 Forgiveness healing,
 How to attract abundance  Workshop
Power of Subconscious mind.
·    Healing: facilties provides.....
Successfully
 doing
 Aura cleansing & aura healing
Distant healing
 Chakra cleansing, activating, radiating and balancing
Pranic healing for
 endocrine disorder healing example: PCOD, Infertility, Hypothyroidism, Diabetes, Asthma etc
.Karmic healing.
Healing as SRT
Healing for relationship issues
Healing for negative energy removal
Healing by three fold flame
Healing for group event
Emotional release therapy session
Healing for home and office for negative energy
ALL HEALING ON SKYPE
Highly charged amazing quratz/ crystals for all purpose for sale



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Friday, June 12, 2015

REIKI HEALING FOR MIGRAINE...

igraine ....Self help tips...
The lifestyle choices that promote good health can reduce the frequency and severity of your migraines. In fact, combining lifestyle measures with medication is often the most effective way to handle migraines.
When headach starts...
1.Seek a calm environment...
2.At the first sign of a migraine, retreat from your usual activities if possible.

3.Turn off the lights. Migraines often increase sensitivity to light and sound. 4.Relax in a dark, quiet room. Sleep if you can.
5.Try temperature therapy. Apply hot or cold compresses to your head or neck. Ice packs have a numbing effect, which may dull the sensation of pain. Hot packs and heating pads can relax tense muscles; warm showers or baths may have a similar effect.
6.Massage painful areas. Apply gentle pressure to your scalp or temples. Alleviate muscle tension with a shoulder or neck massage.
7.Drink a caffeinated beverage. In small amounts, caffeine alone can relieve migraine pain in the early stages or enhance the pain-reducing effects of acetaminophen (Tylenol, others) and aspirin. Be careful, however. Drinking too much caffeine too often can lead to withdrawal headaches later on.
8.Sleep well...migraines are often triggered by a poor night's sleep
Here's help encouraging sound sleep.......
Establish regular sleep hours. Wake up and go to bed at the same time every day — even on weekends. But watch what you eat and drink before bedtime. Intense exercise, heavy meals, caffeine, nicotine and alcohol can interfere with sleep.
9.Eat wisely....
Your eating habits can influence your migraines. Consider the basics:....
Be consistent. Eat at about the same time every day.
Don't skip meals. Eating breakfast is especially important.
Avoid foods that trigger migraines. If you suspect that a certain food — such as aged cheese, chocolate, caffeine or alcohol — is triggering your migraines, eliminate it from your diet to see what happens.
10Exercise regularly...
During physical activity, your body releases certain chemicals that block pain signals to your brain. These chemicals also help alleviate anxiety and depression, which can make migraines worse. If your doctor agrees, choose any exercise you enjoy. Walking, swimming and cycling are often good choices. But it's important to start slowly. Exercising too vigorously can trigger migraines.

11 Manage stress

Stress and migraines often go hand in hand. You can't avoid daily stress, but you can keep it under control — which can help you prevent migraines.

Simplify your life. Rather than looking for ways to squeeze more activities or chores into the day, find a way to leave some things out.
Manage your time wisely. Update your to-do list every day — both at work and at home. Delegate what you can, and divide large projects into manageable chunks.
Take a break. If you feel overwhelmed, a few slow stretches or a quick walk may renew your energy for the task at hand.
Adjust your attitude. Stay positive. If you find yourself thinking, "This can't be done," switch gears. Think instead, "This will be tough. But I can make it work."
Let go. Don't worry about things you can't control.
Relax. Deep breathing from your diaphragm can help you relax. Focus on inhaling and exhaling slowly and deeply for at least 10 minutes every day. It may also help to consciously relax your muscles, one group at a time. When you're done, sit quietly for a minute or two....This information is taken from ..www.mayoclinic.org


Tuesday, June 9, 2015

@ शरीर से परे भी एक विज्ञान ------------------------------------- कर्म और भाग्य के सिद्धांत की बात प्राचीन काल से की जाती रही हैं और भगवान श्री कृष्ण द्वारा इसका विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है ।भाग्य और भगवान में मजबूत आस्था रखने के कारण एवं षडदर्शन और ज्योतिष विषय का अध्ययन और अध्यापन करने के कारण यह समझने का अवसर मिला कि हर व्यक्ति , समान कौशल होने के बाबजूद विभिन्न मोर्चों पर अलग - अलग प्रदर्शन करता है । क्रकेट की भाषा में इसे " इन - फॉर्म और आउट - ऑफ़ - फॉर्म " कहा जाता है ।ज्योतिष में यह प्रदर्शन "योग,गोचर - महादशा और अन्तर्दशा " पर निर्भर करता है ।इस बात को क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के उदाहरण से समझा जा सकता है ।रातोंरात " क्रकेट के भगवान" ने जब परिस्थितियों के सामने समर्पण किया तो जिन लोगों ने उन्हें भगवन बनाया था वही उनके सबसे बड़े आलोचक हो गए । एक ज्योतिषविद होने के नाते सचिन तेंदुलकर की जन्मकुंडली का अध्ययन किया और कुछ दिलचस्प नतीजे सामने आये । उनकी जन्मकुंडली में जहाँ एक ओर सूर्य -मंगल का योग और गजकेसरी जैसा असाधारण योग है, वहीं राहु - चन्द्र का नकारात्मक योग कमजोर शुक्र के साथ है । 1990 से 1996 के दौरान उन्होंने सभी विरोधियों के छक्के छुड़ा दिए और स्वयं व् देश के लिए गौरव हासिल किया और निरंतरता बनाये हुए एक ब्रांड बन गए । उनका कमजोर समय 2002 से 2006 के पूर्व तक रहा ।इसके पश्चात् सूर्य ने इनको फिर से प्रसिद्धि दिलाई । जून 2011 से रिटायरमेंट तक राहु - चन्द्र के चलते उनका भाग्य कमजोर हो गया । जैसा कि "कार्ल मार्क्स " ने कहा है कि इंसान अपना इतिहास स्वयं बनाता है, लेकिन वः इच्छा अनुसार नहीं बना सकता , वह चुनी हुई परिस्थति के अधीन भी नही बना सकता , बल्कि विरासत में मिली, पूर्व प्रदत्त, वर्तमान परिस्थितियों के अधीन बनाता है ।......Dr.Surendra Nath Panch

Monday, June 8, 2015

MORE INFORMATION ON CROWN CHAKRA....

योगवाशिष्ठ ग्रन्थ को महारामायण के नाम से भी जाना जाता है क्यों कि इसमेें महर्षि वाशिष्ठ ने भगवान् श्री राम को जीवन विज्ञान और योग विज्ञान की शिक्षा दी है ।उसमें ये बताया है कि चिज्जड़ ग्रंथि के टूटने पर सभी चक्र जाग्रत हो जाते हैं ।चिज्जड़ यानि (चित्त + जड़) अर्थात् चेतना का जड़ से पृथकता का अनुभव होना ।यही बात योगदर्शन के विभुतिपाद में वर्णित की गयी है ।अब चेतना की जड़ता से पृथकता कैसे हो इसके लिए एक विधि है , जो लिपिबद्ध नहीं की जा सकती ।योग दर्शन की किसी भी जिज्ञासा के लिए आपका स्वागत है ।......by Dr. Surendra Nath Panch

योग निद्रा ------------------- योग निद्रा एक परम् उत्कृष्ट निद्रा है, इसका अभ्यास हो जाने से मनुष्य के त्रिदोष सम्यक अवस्था में हो जाते हैं और व्यक्ति आदर्श स्वास्थ्य एवम् सौन्दर्य से युक्त रहता हुआ अतिशय सुखी, शांत ,प्रसन्न और आनंदित रहता है । योग निद्रा के लाभ =========== 1. योग निद्रा के अभ्यास से शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तनाव समाप्त हो जाते हैं । 2. एक - एक अंग की निष्क्रियता दूर होकर , उसमें नई चेतना और नई शक्ति का संचार होता है । 3. शरीर, मन और मस्तिष्क के रोग जैसे :- तनाव , मधुमेह , रक्तचाप , ह्रदय रोग तथा कमजोरी आदि से छुटकारा मिल जाता है । 4. योग निद्रा के अभ्यास से मन पर नियंत्रण होने लगता है । मन को स्थिर करके बहुत सी शक्तियां और सिद्धियाँ प्राप्त हो जातीं हैं । 5. योग निद्रा के अभ्यास से व्यक्ति में आलस्य नहीं रहता है, वह सदा सक्रिय रहता है । कार्य करने की शक्ति उसमें बराबर बनी रहती है । 6. योग निद्रा अंतर्मन में उतरने की सर्वसुलभ क्रिया है । इसके अभ्यास से व्यक्ति को निर्मलता , निश्चलता एवम् शांति प्राप्त होती है तथा मन , मष्तिष्क और स्नायु मंडल को शान्ति एवं शक्ति मिलती है । 7. इसके अभ्यास से व्यक्ति जहाँ अंतर्मन में गहरे उतर सकता है, वहीं साधना की ऊंची उड़ान भी भर सकता है और तन-मन में अद् भुद ताजगी एवं आनंद का अनुभव कर सकता है । 8. अभ्यास परिपक्व होने पर बहुत से रहस्य व्यक्ति के समक्ष उजागर होते जाते हैं । @सावधान +++++++ यह योग निद्रा पूर्णत: लेखनीबद्ध नहीं हो सकती है । ये एक अत्यंत ही प्रभावशाली योग है , इसे किसी विशेषज्ञ के निर्देशन में सीख लेना चाहिए ।।

Sunday, June 7, 2015

CROWN CHAKRA...

क्राउन चक्र अर्थात् ब्रह्मरन्ध्र अर्थात् शून्यचक्र, शून्य का अर्थ है अनंत और अनंत का मतलब ईश्वर से है । इस प्रकार यह चक्र ईश्वरीय शक्ति से जुड़ा हुआ है । प्रत्येक जीव में यह चक्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, यदि इसे जाग्रत किया जाए तो उस निर्गुण का ज्ञान भी हो सकता है । .

Saturday, June 6, 2015

THIRD EYE CHAKRA..

Third Eye Chakra
The third eye chakra is related to the act of seeing, both physically and intuitively. As such it opens our psychic faculties and our understanding of archetypal levels. When healthy it allows us to see clearly, in effect, letting us ‘’see the big picture’’.
After refining your energy body through the purification of sound in the fifth chakra, the journey moves deeper into your inner world.

Sanskrit Name: Ajna
Meaning: To perceive and to command
Location: between eyebrows
Body Parts: eyes
Glands: Pineal
Function: Intuition, imagination, vision
Element: light
Color: Indigo
Balanced Characteristics: Intuitive, perceptive, imaginative, good memory, able to visualize, able to access and remember dreams, able to think symbolically
Deficiency: Poor memory, lack of imagination, difficulty visualizing, can’t remember dreams, denial
Excess: Hallucinations, delusions, obsessions, difficulty concentrating, nightmares
Physical Malfunctions: headaches, vision problems
Healing strategy: guided visualizations, dream work, creating visual art, meditation, color and art therapy
Key words: imagination, insight, timelessness, dreams, perceive, visualize, inner eyes, trance, sixth sense, intuition
Affirmations: I see the light and it guides my way
                    I listen, I hear, I speak the truth 

Thursday, June 4, 2015

How The Body Clears Energy - Whole-Self Well-Being When your body is physically ill, try treating your emotions too & view your body as a whole. Whole-self well-being is, in part, the result of a harmonious flow of energy between our physical & mental selves. When this flow is thrown out of balance for any reason, the body & mind react to one another rather than act cooperatively. Ongoing stress, sadness, anxiety, excitement & fear can overwhelm the cerebral self, causing traumatic energy to be channeled into the body. The body then responds by taking steps to organically dispel the energy that has burdened it & expressing it by means of physical symptoms such as illness, fatigue, or disease. In some cases, these symptoms can simply be allowed to run their natural course & recovery will come about naturally. In most instances, however, health & wellness can only be restored by a dual course of treatment that acknowledges both the physical manifestations of energy clearing & the underlying emotional causes. Many of the ailments we experience over the course of our lives can be indicative of the body’s attempts to process intellectual & emotional energy. Swollen glands, for example, can signal that you are going through a period of emotional cleansing. Even something as simple as a pimple can indicate that your body is ridding itself of toxins & old energy. In Chinese medicine, intense emotions are held in the body’s organs as a matter of course. Grief lurks in the lungs, anger inhabits the liver, fretfulness lingers in the heart, worry is held in the stomach, and the kidneys harbor fright. Particular illnesses & symptoms represent the body’s attempts to clear emotional energy. Coughs or bronchitis can signify that the physical self is clearing away grief while a loss of appetite may signal that worry is being actively addressed. When you feel ill or imbalanced, treating your whole self rather than treating the physical self alone can empower you to determine the root cause of sickness. Since you understand that your physical symptoms may be an expression of emotional discomfort, you can establish a balanced treatment regimen to ensure that you quickly recover your good health.

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“आपकी प्रतिभा, आपको भगवान का दिया गया उपहार है। आप इसके साथ क्या करते हैं, यह आपके द्वारा भगवान को दिया गया उपहार होता है।”
लियो बुसकैजलिया

Tuesday, June 2, 2015

LEARN REIKI TO BE POSITIVE....

हर विचार एक बीज है – Every Thought is a Seed|
हमारे पास दो तरह के बीज होते है सकारात्मक विचार (Positive) एंव नकारात्मक विचार (Negative Thoughts) है, जो आगे चलकर हमारे दृष्टिकोण एंव व्यवहार रुपी पेड़ का निर्धारण करता है| हम जैसा सोचते है वैसा बन जाते है (What we think we become) इसलिए कहा जाता है कि जैसे हमारे विचार होते है वैसा ही हमारा आचरण होता है|
यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपने दिमाग रुपी जमीन में कौनसा बीज बौते है| थोड़ी सी चेतना एंव सावधानी से हम कांटेदार पेड़ को महकते फूलों के पेड़ में बदल सकते है|

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The most important thing is your self respect. It does not matter what people think about you, but what you think about yourself.....Robert H. Abplanalp